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चानन भेल विषम सर रे / विद्यापति
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|रचनाकार=विद्यापति
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चानन भेल विषम सर रे, भुषन भेल भारी।<br>
सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी।।<br>
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