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मीरा के प्रभु गिरधर नागर / मीराबाई
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|रचनाकार= मीराबाई
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[[Category:पद]]
गली तो चारों बंद हुई हैं, मैं हरिसे मिलूँ कैसे जाय।।<br>
Pratishtha
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