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उठो लाल अब आँखें खोलो / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
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20:04, 18 अप्रैल 2011
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|रचनाकार=शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
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<Poem>
उठो लाल अब आंखें खोलो
अपनी बदहालत पर रोलो
पानी तो उपलब्ध नहीं है
राष्ट्रभक्ति की बहती गंगा
तुम भी अपने पातक धोलो।।उठो,,,,,
</poem>
Pratishtha
KKSahayogi,
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