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पावक सर्व अंग काठहिं माँ / जगजीवन
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|रचनाकार=जगजीवन
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}}
[[Category:पद]]
<poeM>पावक सर्व अंग काठहिं माँ, मिलिकै करखि जगावा।
Pratishtha
KKSahayogi,
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