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पहले की तरह / अनिल जनविजय
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13:53, 25 जून 2007
लाड़ भरे स्वर में कहा ठहर कर
''अरे. . . सब-कुछ पहले जैसा है
सब वैसा का वैसा है. . .
पहले की तरह. . .''
अनिल जनविजय
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