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13:51, 20 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जयकृष्ण राय तुषार
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भारत माता
तेरी
क्या तस्वीर लिखूं ?
दिल्ली
या गुजरात कि
मैं कश्मीर लिखूं |
मुखिया का
ईमान
मुखौटों वाला है ,
परजा के
मुँह गोदरेज का
ताला है ,
टू जी
थ्री जी
या इससे गम्भीर लिखूँ |
लूटपाट
अपहरण
फिरौती ,हिंसा है ,
नये दौर में
ये ही
सत्य -अहिंसा है ,
फांसी पर
लटकी
रांझे की हीर लिखूँ |
नीति -नियंता
गिरवीं
हाथ दलालों के ,
हम गुलाम
शहरों के
शापिंग मालों के ,
पेड़
बबूलों के
कैसे अंजीर लिखूँ |
राजमार्ग पर
टोल टैक्स के
पहरे हैं ,
लालकिले के
भाषण
बहुत सुनहरे हैं ,
काशी
मगहर चुप हैं
किसे कबीर लिखूँ |
अब सत्यमेव
जयते में
सत्य नहीं मिलता ,
यह ताल
सियासी इसमें
कमल नहीं खिलता ,
तेरी चुप्पी -
मौन, कि
मैं जंजीर लिखूँ |
इस राजव्यवस्था
को कोई तो
बदलेगा ,
फिर तेरे ही
आंचल से
सूरज निकलेगा ,
फिर सिंहवाहिनी
तुझको
गंगा नीर लिखूँ |
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