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अपनी क़िस्मत पे नाज़ करते, ग़ुरूर होता/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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14:58, 24 अप्रैल 2011
<poem>
'''लेखन वर्ष:
2004
२००४/२०११'''
अपनी क़िस्मत पे नाज़ करते, ग़ुरूर होता
विनय प्रजापति
558
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