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वह लड़की-दो / ओम पुरोहित ‘कागद’
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05:37, 25 अप्रैल 2011
दिन भर
राह्गीरों
सहर्मियों
सहकर्मियों
को सहती है
और मौन रहती है
यह उसकी मजबूरी है
आशिष पुरोहित
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