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08:56, 26 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=ब्रजभाषा
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<poem>
गाना हो तुम भजन संभरि के गाना - २
बावन अक्षर हैं ओलम के
इनके पास मतीं जाना
तीन लोक औ चौदह भुवन हैं
तिनके पार चले जाना
इनके भीतर जो तुम आये
पकरें दोऊ काना हो
तुम भजन संभरि के गाना.....
</poem>