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10:16, 26 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=हरियाणवी
}}
<poem>
अणी ए गणी मेरी नणदी मनरा फिरै
मेरी नणदी मनरे नै ल्याओ रे बुलाय
चूड़ा तै मेरी जान,
चूड़ा तै हाथी दाँत का
हरी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ
हरे मेरे राजा जी के खेत
बलम जी के खेत
चूड़ा तै हाथी दाँत का
काणी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ
काणे मेरे राजा जी के केश
बलम जी के केश
चूड़ा तै हाथी दाँत का
धौणी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ
धौणे मेरे राजा जी के दाँत
बलम जी के दाँत
चूड़ा तै हाथी दाँत का
</poem>