Changes

बनड़ी

142 bytes added, 05:17, 27 अप्रैल 2011
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=राजस्थानी
}}
<poem>
आ तो बाबुल के रे, बागा की बहार बनड़ी
 
बन्नी रुपारी गनगोरा के उनिहार बनड़ी
 
बनड़ो लुक छिप देख भाल-2
 
बनड़ी मदरी मदरी चाल -२
 
घुमर घालन नाज उठावन न तैयार बनड़ी
 
ओ म्हारे पोलतले पनघट की पणिहार बनड़ी
 
बनड़ी कांची कंवली कूपल कचनार बनड़ी
 
बनड़ी लट पर पाग संभाले, बनड़ी हिवडेहेत उजाले
 
उड़तो आँचल आज संभाले, लाजनहार बनड़ी
 
म्हार आँगन की हरियाली, हर श्रृंगार बनड़ी
 
बनड़ी रूप कंवर रंग राली, रचनार बनड़ी
 
बन ड़ो घूँघट घूँघट जोहे, बनड़ी नैना लाज लजावे
 
मुखड़ो जोवे बनड़ो, सोहे मोहरहार बनड़ी
 
म्हारे समधी परिवार की श्रींगार बनड़ी
 
बन्नी चंद्र किरण का झीना झीना तार बनड़ी
 
बन्नी रूपारी गनगौरा के उनिहार बनड़ी
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits