Changes

मटमैली गीली संध्याएँ ।
सूरज बुझा बैंगनी, नीला बीत गया दिन पीला-पीला
हल्के हाथों के तकिए पर
सिर रखकर सो गई हवाएँ ।
टूटे तारों का विज्ञापन खोया-खोया-सा अपनापन
दूर अँधेरे में घोड़े की
टाप बन गईं नई दिशाएँ ।
इस टीले से उस टीले तक एक शब्द सिन्दूर मुबारक
सबसे भली नींद की गोली
जब चाहें खाकर सो जाएँ ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,142
edits