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प्रतिनिधि / गोपालशरण सिंह
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16:04, 4 मई 2011
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<poem>
देव !तुम्हारे पास ।
दिन दुखी जन का प्रतिनिधि बन,
आया था यह दास ।
लाया था उपहार रूप में,
केवल
दुःख
दुख
निःश्वास ।
पर आशा भी रही चित्त में
और रहा विश्वास ।
अनिल जनविजय
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