गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
काशी में महामारी / तुलसीदास/ पृष्ठ 1
183 bytes added
,
15:17, 10 मई 2011
छगुख-गनेस तें महसेके पियरे लोग
बिकल बिलोकियत , नगरी बिहालकी।।
पुरी-सुरबेलि केलि काटत किरात कलि,
निठुर निहारिये उघारि डीठि भालकी।।
(170)
Dr. ashok shukla
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits