Changes

राख / रेशमा हिंगोरानी

939 bytes added, 05:37, 11 मई 2011
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेशमा हिंगोरानी |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> दिल तुझे ढूँ…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेशमा हिंगोरानी
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
दिल तुझे ढूँढता है, पर न तू नज़र आए,
लौट आए ज़रा धड़कन, तेरी ख़बर आए!

हो सफरे-हयात कैसे मुक्क़म्मल<ref>पूरा</ref> यारब!
न जान जाए है, और ना ही तेरा दर आए!

हमने दे डाला है किस्मत को तेरे घर का पता,
अबके मुम्किन है कि लौटे, तो कुछ संवर आए!

शमअ को लाख अहले-बज़्म जलाना चाहें,
सुलगती राख! अब इसमें क्या शरर<ref>चिंगारी</ref> आए?
</poem>
{{KKMeaning}}