गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
छाया मत छूना / गिरिजाकुमार माथुर
1 byte removed
,
12:22, 12 मई 2011
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण
छाया मत छूना मन
होगा दुख दूना मन
डा० जगदीश व्योम
929
edits