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क्‍या हुया जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्‍य वरण,
छाया मत छूनाकर तू भविष्‍य वरण,
छाया मत छूना मन,  होगा दुख दूना।दूना मन