Changes

उस बच्ची की आवाज़ अब कम सुनाई पड़ती है
मेरे हाथों से मेरा फूल...
 
यहाँ की मिटटी में
धंसी हुई है क्या
स्वर्गिक ख़ुशी
अभी तक नहीं मिली है जो
जब थककर
मैं लौट आया वहाँ से
तो दीया बुझ गया
वहाँ पड़े रह गए बस सफ़ेद फूल
और कुमुद बेचती वह बच्ची
'''मूल मलयालम से अनुवाद : संतोष अलेक्स'''
</poem>
{{KKMeaning}}
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,674
edits