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सृष्टि ने ये कैसा अभिशप्त बीज बोया
व्योम की व्यथा को निरख इंदर्धनुष इन्द्रधनुष रोया
प्यासे को दे अंजुरी भर न पानी
भगीरथ का करें उपहास