गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
"आकाशे दामामा बाजे... / शमशेर बहादुर सिंह
788 bytes added
,
10:23, 14 मई 2011
आरम्भ हुए;
पश्चिम का दानवी रूप
प्रकट हुआ;
तीसरी दुनिया ने जन्म लिया
और आँखें खोलीं...!
यहूदियों अरबों ईसाइयों
की आने वाली क़यामत
अभी फट तो नहीं पड़ी है
इस धरती के सर पर,
मगर इसी विस्फोट के लिए
प्राण-पन से
अमरीका
निरंतर अहर्निश
घोर अभ्यास कर रहा है !
तुम्हें ख़बर नहीं ?
तुम अपने...
अपने सुदूर
विद्रोही अवचेतन में
कौन से महाकाव्य की
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,226
edits