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'''( जानकी -मंगल पृष्ठ 16)'''
'''धनुर्भंगविवाह की तैयारी-31'''  ( छंद 113 से 120 तक)   गुनि गन बोलि कहेउ नृप माँडव छावन। गावहिं गीत सुआसिनि बाज बधावन।113।  सीय गीत हित पूजहिं गौरि गनेसहि। परिजन पुरजन सहित प्रमोद नरेसहि।।  प्रथम हरदि बंदन करि मंगल गावहिं करि कुल रीति कलम थपि तुलु चढ़ावहिं।।  गे मुनि अवध बिलोकि सुसरित नहायउ। सतानंद सत कोटि नाम फल पायउ।।  नृप सुनि आगे आइ पूजि सनमानेउ। दीन्हि लगन कहि कुसल राउ हरषानेउ।।  सुनि पुर भयउ अनंद बधाव बजावहिं। सजहिं सुमंगल कलम बितान बनावहिं।।  राउ छाँड़ि सब काज साज सब साजहिं। चलेउ बरात बनाइ पूजि गनराजहिं।।  बाजहिं ढोल निसान सगुन सुभ पाइन्हि। सि नैहर जनकौर नगर नियराइन्हि।120। '''(छंद-15 )'''   नियरानि नगर बरात हरषी लेन अगवानी गए। देखत परस्पर मिलत मानत प्रेम परिपूरन भए। ।  आनंदपुर कौतुक कोलाहल बनत सो बरनत कहाँ। लै दियो तहँ जनवास सलि सुपास नित नूतन जहाँ।15।
'''(इति जानकी-मंगल पृष्ठ 16)'''
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