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{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रित्सुको कवाबाता
}}
[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
कितनी जल्दी मेरे नाख़ून जाते हैं बढ़ ?
कब काटा था पिछली बार इन्हें मैंने ?

मैं नहीं खाती कभी खाना
इतनी मेहनत से जैसे के नाख़ून .
मैं खाती हूँ मछली
रोज़ और एक गिलास दूध
मेरी माँ बताती है मुझे
इससे होती हैं हड्डियाँ मज़बूत
कैसे मेरा शरीर
बदल देता है इन चीज़ों को
ऐसे सख्त नाखूनो में?

'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
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