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मैं किसी ईश्वर की तलाश में हूँ ।
जिस किसी ने कहा ईमानदार स्वप्न देखने वालों की मदद चाँद-तारे आदमी-आकाश सूरज-बयार सब करते हैं गलत कहा / प्रेम करते हुए मुझे अपनी प्रेमिका से भी यह आशा थी आशा ही रही औरों की तो बात क्या / तुम्हे खोने के डर से थरथराता रहा और तुम थी कि मुट्ठी की रेत थी / डर था मेरे स्वप्न को बेईमान कह दिया जायेगा और तुम वो पहली थी ।थी।
तुम कब थी ही यह बताना कठिन है पर जब थी मैने ठान रखा था तुम्हारे होंठों के संतरें वाले रँग मैं कौमी रंग बनाऊँगा उन संतरों के बाग मशहूर हो जाएँगे और मेरी प्यास अमिट / मेरी अमिट प्यास की ख़ातिर मेरे स्वप्न के भव्य चेहरे पर लम्बी नीली नदी का दिखता हुआ मखमली टुकड़ा है ।
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