और अपनी बिसाते-जाँ क्या है?
(वक्फ़ा-ए-गर्दिशे-दौराँ - वक़्त के लगातार चलने वाले पहिए में एक विराम / छोटी सी रोक; बिसाते-जाँ - ज़िंदगी की पहुँच / हैसियत)
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हयात की भी अगर कोई हकीक़त है कहीं,
तो मुकाबिल हो कभी, सामने आ जाये कहीं!
(हयात - जिंदगी; मुकाबिल - आमने-सामने)