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|रचनाकार=उमेश चौहान|संग्रह=जिन्हें डर नहीं लगता / उमेश चौहान
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<poem>
'''नई नस्ल के कबूतर '''
 
उन्हीं के हाथों में कबूतर थे
उन्हीं की जेबों में दाने थे
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