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खरीदारी / शिवदयाल

21 bytes added, 16:13, 19 मई 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=शिवदयाल
|संग्रह= }}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>  
डिपार्टमेंटल स्टोर में
 
आइटम पसंद आ जाने पर
 
उन्होंने सेल्समैन को
 
आदेश दिया - पैक कर दो!
 
काउंटर पर
 
पर्स हाथ में ले
 
उन्होंने मैनेजर से पूछा -
 
हाउ मच?
 
पेमेंट रिसीव कर
 
मैनेजर ने जब ‘थैंक्स’ कहा
 
तो मचलते हुए सामान उठाए
 वे बाहर निकल आए।आए ।
लौटते हुए
 उन्होंने खरीदी ख़रीदी तरकारी 
और मोल-भाव कर
 
डेढ़ रुपए की बचत कर ली
 
साथ में गंदे नोटों के लिए
 सब्जी सब्ज़ी वाले को धिक्कारा।धिक्कारा ।
ऐन गली के नुक्कड़ पर
 लड़के से फी फ़ी दर्जन अंडों पर 
अठन्नी कम कराकर
 इतराते हुए घर आ गए।गए ।
उस दिन
 ऐसे की उन्होंने खरीदारीख़रीदारीछोटे मुनाफों मुनाफ़ों में की हिस्सेदारी और खुश ख़ुश हुए!</poem>
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