{{KKRachna
|रचनाकार=शिवदयाल
|संग्रह= }}{{KKCatKavita}}<poemPoem>
डिपार्टमेंटल स्टोर में
आइटम पसंद आ जाने पर
उन्होंने सेल्समैन को
आदेश दिया - पैक कर दो!
काउंटर पर
पर्स हाथ में ले
उन्होंने मैनेजर से पूछा -
हाउ मच?
पेमेंट रिसीव कर
मैनेजर ने जब ‘थैंक्स’ कहा
तो मचलते हुए सामान उठाए
वे बाहर निकल आए।आए ।
लौटते हुए
उन्होंने खरीदी ख़रीदी तरकारी
और मोल-भाव कर
डेढ़ रुपए की बचत कर ली
साथ में गंदे नोटों के लिए
सब्जी सब्ज़ी वाले को धिक्कारा।धिक्कारा ।
ऐन गली के नुक्कड़ पर
लड़के से फी फ़ी दर्जन अंडों पर
अठन्नी कम कराकर
इतराते हुए घर आ गए।गए ।
उस दिन
ऐसे की उन्होंने खरीदारीख़रीदारीछोटे मुनाफों मुनाफ़ों में की हिस्सेदारी और खुश ख़ुश हुए!</poem>