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23:14, 20 मई 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नवनीत पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>आग से सब डरते हैं
सब को जला देती है आग
पर मुझे नहीं
मेरा तो घर है आग
बस अंगीकार करलो मुझे
मेरे घर आ जाओ
कभी नहीं जलोगे...</poem>
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