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'''नई नस्ल के कबूतर '''
 
उन्हीं के हाथों में कबूतर थे
उन्हीं की जेबों में दाने थे
वे आसमान में पंख पसार
नई संभावनाओं वाले नी्ड़ नीड़ तलाशते
उड़कर बढ़े चले जा रहे थे
दूर सुनहरे क्षितिज की ओर ।
</poem>
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