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मुक्त क्रीड़ामग्न होकर खिलखिलाना / श्यामनारायण मिश्र
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15:14, 23 मई 2011
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मुक्त क्रीड़ामग्न होकर खिलखिलाना।
श्यामनारायण मिश्र
ऊब जाओ यदि कहीं ससुराल में
एक दिन के वास्ते ही गांव आना।
अनिल जनविजय
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