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शाम की साज़िश / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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19:48, 24 मई 2011
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|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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<Poem>
मैं ख़ूब समझता हूँ
मेरी छाती से लिपट जाती है !
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Tripurari Kumar Sharma
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