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गावैं बिबुध बिमल बर बानी / तुलसीदास
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14:43, 25 मई 2011
|पीछे=आजु महामङ्गल कोसलपुर सुनि नृपके सुत चारि भए / तुलसीदास
|आगे=घर-घर अवध बधावने मङ्गल-साज-समाज / तुलसीदास
|सारणी=
गीताव
|सारणी=गीतावली
/ तुलसीदास
/ पृष्ठ 1
}}
<poem>
Dr. ashok shukla
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