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ज़रा सुनो तो / कुमार रवींद्र
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16:47, 25 मई 2011
इसको करने पूरा
काला
काल
द्वीप पर
नए-नए सुर-ताल हमें अब
सूझ रहे हैं !
</poem>
अनिल जनविजय
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