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01:16, 26 मई 2011 {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }}
<poem>
आधुनिक घरों में ,
नहीं रही दहलीज की परम्परा,
इसलिए न कोई मर्यादाएं हैं ,
न जीवन आचरण के मूल्य,
और नई पीढ़ी दिग्भ्रमित हो,
भटक रही है,
मूल्यहीनता की दिशा में॥
<poem>