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पंख कटे पंछी निकले हैं / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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07:59, 27 मई 2011
पंख कटे पंछी निकले हैं
भरने आज उडानें
कागज
क
कk
यानों पर चढकर
नील गगन को पाने
टूटी पतवारो से निकले
नौका पार लगाने
पंख कटे पंछी निकले हैं
भरने आज उडानें
</poem>
Shilendra
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