गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सुबहों पर धुँध भरे / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
1 byte added
,
08:26, 27 मई 2011
पैने नाखूनों के शीश
रखा ताज है
सुबहों पर धुँध भरे
मौसम का राज है
</poem>
Shilendra
27
edits