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गुलमोहर / अलका सिन्हा
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|रचनाकार=अलका सिन्हा
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<poem>
वृक्ष ने आवेश में भर लिया
पत्तियों को
अपनी बलिष्ठ
बांहों
बाँहों
में
बेतरह।
बेतरह ।
पत्तियाँ लजाईं,
अनिल जनविजय
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