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अपाहिज व्यथा / दुष्यंत कुमार
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02:37, 3 जून 2011
तेरे आँसुओं को नमन कर रहा हूँ ।<br><br>
समाआलोचको
समालोचको
की दुआ है कि मैं फिर,<br>
सही शाम से आचमन कर रहा हूँ ।<br><br>
Mayank Mishra
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