हमसे पहले था अजब तेरे जहाँ का मंजर
कहीं थे मस्जूद<ref>पूज्य (जिसका सजदा किया जाय), शज़र</ref> ते थे पत्थर, कहीं माबूद<ref>पूज्य</ref> शजर <ref>पेड़</ref>
खूगर-ए-पैकर-ए-महसूस थी इंसा की नज़र
मानता फ़िर कोई अनदेखे खुदा को कोई क्यूंकर
तुझको मालूम है लेता था कोई नाम तेरा