Changes

या जेहाद है
या फिर क्या है?
इतिहासों के काले पन्ने खुलते जाते नादिरशाहों चंग़ेजों की चली बनी है!
रह-रह
बदल रहा है मौसम
हों या
हों पटना में
पानीपत की आँखों में अब भी दहशत है और आज भी नालन्दा में आग़जनी है।
घड़ियालों की
बन आई है
हो रहे तमाशे
नई सदी में
लहजे बदले इंद्रप्रस्थ में संवादों के रंगमंच पर फ़नकारों में ग़ज़ब ठनी है।
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