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ओ री चिड़िया / कृष्ण शलभ

33 bytes removed, 12:08, 14 जून 2011
<poem>
जहाँ कहूँ मैं बोल बता दे
 
क्या जाएगी, ओ री चिड़िया
 
उड़ करके क्या चन्दा के घर
 
हो आएगी, ओ री चिड़िया।
 
 
 
चन्दा मामा के घर जाना
 
वहाँ पूछ कर इतना आना
 
आ करके सच-सच बतलाना
 
कब होगा धरती पर आना
 
कब जाएगी, बोल लौट कर
 
कब आएगी, ओ री चिड़िया
 
उड़ करके क्या चन्दा के घर
 
हो आएगी, ओ री चिड़िया।
 
 
 
पास देख सूरज के जाना
 
जा कर कुछ थोड़ा सुस्ताना
 
दुबकी रहती धूप रात-भर
 
कहाँ? पूछना, मत घबराना
 
सूरज से किरणों का बटुआ
 
कब लाएगी, ओ री चिड़िया
 
उड़ करके क्या चन्दा के घर
 
हो आएगी, ओ री चिड़िया।
 
 
 
चुन-चुन-चुन-चुन गाते गाना
 
पास बादलों के हो आना
 
हाँ, इतना पानी ले आना
 
उग जाए खेतों में दाना
 
उगा न दाना, बोल बता फिर
 
क्या खाएगी, ओ री चिड़िया
 
उड़ करके क्या चन्दा के घर
 
हो आएगी, ओ री चिड़िया।
</poem>
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