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जो चाहे समझ लीजिये, मरज़ी है आपकी
माना गाना है बेबसी मेरी, कुछ और नहीं है
क्यों फेर दी है उसने पँखुरियाँ गुलाब की
है इसमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है
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