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प्यार का रंग निगाहों में उभर आता है
हमने देखा है किनारा किसी के किसीके आँचल का
जब कहीं कोई किनारा न नज़र आता है
एक इस राह में ऐसा भी शहर आता है
खुद ख़ुद ही माना कि फँसे दौड़के काँटों में गुलाबकुछ तो इल्जाम इल्ज़ाम मगर आपके सर आता है
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