गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ओ नये नाथ सुण मेरी बात / हरियाणवी
1 byte removed
,
04:28, 19 जून 2011
<poem>
ओ नये नाथ सुण मेरी
बातिया
बात
,
या
चन्द्र्किरण जोगी तनै तन-मन-धन तै चाव्है सै!
नीचे नै कंमन्द लटकार्ही चढ्ज्या क्यूँ वार लगावै सै !!
Rajeev090
27
edits