Changes

यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया शौकिया शौक़िया तुमने
दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने!
जिन्दगी ज़िन्दगी की क़िताब किताब ख़त्म हुईमुड़ के मुड़के देखा न हाशिया तुमने!
हमने माना कि मिल न पाये गुलाब
दिल तो खुशबू ख़ुशबू से भर दिया तुमने
<poem>
2,913
edits