|संग्रह=नीहार / महादेवी वर्मा
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जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग;
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग;
आँसू लेते वे पथ पखार|जो तुम आ जाते एक बार
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद,
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग; आँखें देतीं सर्वस्व वार|
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार
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