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03:53, 28 जून 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=द्विज
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{{KKPageNavigation
|पीछे=सौंधे समीरन कौ सरदार / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=लटपटी पाग सिर साजत उनींदे अंग / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 1
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<poem>
'''दोहा'''
''(वसंतागम सुन दर्शनार्थ उत्सुक होने का वर्णन)''
सुनत सलौनी बात यह, तन-मन सबै भुलाइ ।
ऋतु-पति के दरसन हितै, बाढ़्यौ उर मैं चाइ ॥८॥
</poem>