गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं / शृंगार-लतिका / द्विज
10 bytes added
,
02:25, 29 जून 2011
}}
<poem>
'''
भुजंगप्रयात
'''
''
(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)
''
सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं । भँवैं भौंर भूले, भले चित्त-मोहैं ॥
बहै मंद-ही, मंद-ही, बायु रूरे । सुबासैं, सबै भाँति-सौं सोभ-पूरे ॥१७॥
</poem>
Himanshu
916
edits