गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कुछ फूल चमन में बाक़ी हैं / अर्श मलसियानी
7 bytes added
,
09:47, 29 जून 2011
{{KKCatGhazal}}
<poem>
गो
फ़स्ले-ख़िज़ाँ है फिर भी तो कुछ फूल चमन में बाक़ी हैं,
ऐ नंगे-चमन तू इस पर भी काँटों का हार पिरोता है?
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,333
edits