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उनका बदला हुआ हर तौर नज़र आता है / गुलाब खंडेलवाल
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,
18:48, 30 जून 2011
और, दो-चार क़दम और, नज़र आता है
कोई कोयल न तुझे ढूँढती फिरती हो
,
गुलाब!
आज आमों पे नया बौर नज़र आता है
<poem>
Vibhajhalani
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