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कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है! / गुलाब खंडेलवाल
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18:59, 30 जून 2011
ये परदा घड़ी भर हटाओ तो क्या है!
गुलाब एक दिन पास पहुँचेंगे
खुद
ख़ुद
ही
जो आओ तो क्या है, न आओ तो क्या है!
Vibhajhalani
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